Monday, January 7, 2013

हाल-ए-दिल . . . ! ! !

तुझसे दूर जाने की कोशिश मे तेरे कितना करीब आ गया मै,
मुझे मुझमे ही तू दिखने लगी और सारा जहॅा पा गया मै ।

इस जहॅा मे अगर तेरी सूरत ना होती मेरे
नज़दीक,
तो पतझड़ के मौसम मे जैसे पत्तों सा मुरझा
गया मै ।

कहना है तुझे अभी भी लाकर दिल के नज़दीक
ऐ हसीन,
के तुझे पहली नज़र मे देखते ही हो गया था तुझपे
फिदा सा मै ।